There are no items in your cart
Add More
Add More
Item Details | Price |
---|
बातचीत से लोकप्रिय होने के 9 सिद्धान्त
हम सब चाहते हैं कि व्यापारिक, सामाजिक और पारिवारिक जीवन में लोकप्रिय हो, लोग हमें याद करें और हमें महत्व दें। इसके लिए सबसे जरूरी है बातचीत की अच्छी कला आना। अधिकांश लोग आपसे बातचीत करके ही आपके बारे में राय बनाते हैं, कई लोग दिल के बुरे नहीं होते परंतु कड़वी बात कहने की वजह से अलोकप्रिय होते हैं और तरक्की के अवसर खो देते हैं| यहाँ मैं कुछ सिद्धान्त प्रस्तुत कर रहा हूँ जिन्हें अपना कर आप लोगों से शानदार संबंध बना सकते हैं और तेजी से सफलता हासिल कर सकते हैं।
जो भी आपसे बातचीत कर रहा है उनके मन में यह इच्छा रहती है कि आप उनकी बातों पर ध्यान दें| यदि आप सिर्फ अपनी कहना चाहते हैं तो बात आगे नहीं बढ़ेगी|
बातचीत के दौरान सामान्य प्रतिक्रिया जैसे ‘अच्छा, बहुत बढ़िया, कब से’ आदि बीच-बीच में कहने से सामने वाले को लगता है कि आप उसमें रुचि ले रहें हैं| ये बहुत छोटी सी सलाह है पर एक बार अमल करके देखिए|
To watch 300+ videos on life & business, Click here to subscribe Ujjwal Patni YouTube Channel
यदि किसी की कोई बात आपको अच्छी लग रही हो तो बिल्कुल सहज और कम शब्दों में प्रशंसा करें| याद रखें, सच्ची प्रशंसा व्यक्ति कभी नहीं भूल पाता|
अधिकांशतः झूठी प्रशंसा या मक्खनबाजी पकड़ में आ जाती है, अतः इससे बचें| प्रशंसा थोड़ी विशिष्टता लेते हुए करें जैसे – खाना बहुत अच्छा बना है परंतु यह कचौड़ी एकदम खास है, इतनी अच्छी कचौड़ी बहुत दिनों के बाद खाने को मिली| “खाना अच्छा” यह सामान्य प्रशंसा है जो सदैव औपचारिकता में भी की जाती है परंतु “कचौड़ी खास है” यह लाइन उन्हें हमेशा याद रहेगी | प्रशंसा में चाटुकारिता और मक्खनबाजी का इस्तमाल ना करें और बात को बढ़ाए-चढ़ाए बिना कहें |
3. बातचीत के दौरान मुस्कुराहट बनाए रखिए
ईश्वर ने दुनिया की सबसे महंगी चीज़ इंसान को मुफ़्त में दी “मुस्कान” जिसमें हम बड़ी कंजूसी करते हैं| हमेशा एक मीठी मुस्कान ओढ़े रहिए, देखिए संबंध और मित्र किस तेज़ी से बढ़ते हैं| आप एक मुसकुराते हुए और प्रसन्नचित व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध होते जाएंगे| मुस्कुराहट से आपका तनाव भी कम होगा|
अपने लिफ्टमेन को, ऑफिस के चौकीदार को या सुबह भ्रमण पर जाते हुए जो चेहरे आपको रोज़ दिखते हों उन्हें आज से मुस्कुरा कर देखिए और उनके व्यवहार के परिवर्तन को महसूस कीजिए, आप चकित हो जाएंगे|
व्यक्ति को हमेशा अपने नाम से बहुत मोह होता है| यदि आप किसी प्रसिद्ध व्यक्ति से केवल एक बार मिले हैं और आपने अपना परिचय उन्हें दिया है, कुछ दिनों बाद वह अचानक आपको कहीं मिलते हैं और उन्हें आपका नाम याद रहता है तो आपका मन ये सोच कर प्रसन्न हो जाता है कि उन्हे आपका नाम याद है|
दुनिया में जितने ज़्यादा आप नाम याद रखेंगे उतने ही मित्र बढ़ेंगे| इसी तरह से उनके बारे में खास बात याद रख लीजिये और अगली मुलाक़ात में उसका जिक्र कीजिये। उनको अपने महत्वपूर्ण होने का बोध होगा और वो आपके ऋणी होंगे क्योंकि आपने उनमें रुचि ली।
इस विषय पर डॉ पाटनी ने एक शक्तिशाली शो रिलीज किया जिससे लाखों लोग प्रेरित हुए। विडियो नीचे देखें ।
कई लोगों को एक ही बात बार-बार दोहराने की आदत होती है, जिससे सुनने वाला अपना धैर्य खो बैठता है| अपनी बात को संक्षिप्त में, एक बार में, पूर्ण प्रभाव के साथ कहना चाहिए|
विशिष्ट चर्चाओं में तैयारी से जाइए जिससे कम शब्दों में ज़्यादा प्रभाव पैदा किया जा सके। भागमभाग के इस युग में किसी बात को बार-बार दोहरा कर अपना और सामने वाले का समय नष्ट न कीजिए।
6. कट्टरवादी ना बनें
कट्टरवादी व्यक्ति समय और काल के अनुसार ही बात करते हैं, सबको अलग दृष्टि से देखते हैं| “सारे अधिकारी रिश्वतखोर हैं” कहने की बजाय यह कहना ठीक होगा कि “कुछ अधिकारी रिश्वत लेते हैं” सभी और हमेशा जैसे शब्द से बचें| इसकी जगह कुछ, बहुत सारे, कभी-कभी जैसे शब्द बेहतर होते हैं| सिर्फ एक दो शब्दों की वजह से होने वाले भीषण विवादों से बचिए|
“मैं” शब्द का प्रयोग कम करें कई लोगों की आदत होती है कि वो सारी दुनिया को लेकर अपने में समेट लेते हैं| मैंने सोचा, मैंने कहा, मैं तो पहले से जानता था, मैं तो हमेशा से कहता था आदि शब्दों से बचें| दूसरों को भी सांस लेने की जगह दें| “यह मैं आपको अलोकप्रिय और विवादित बनाने का मुख्य कारण बन सकता है| अपने मैं को हम में बदलिए|”
ईश्वर ने आपको दो कान और एक मुंह इसलिए दिए हैं कि आप जितना बोलें उससे दुगुना सुनें| ज़्यादा बड़बड़ाने वाले लोग अपना प्रभाव जल्दी खो देते हैं| ज़्यादा बोलना अपने सब रहस्य खोलने के बराबर होता है| ऐसे लोगों पर कोई विश्वास नहीं करता और ना ही इनकी बात कोई गंभीरता से सुनता है| कहा जाता है कि मौन रहने से मूर्ख भी विद्वान की श्रेणी में आ जाते हैं|
आलोचना संयमित शब्दों में, अकेले में करें| यदि आवश्यक है तो पहले प्रशंसा करते हुए बात शुरू करें, सहजता से आलोचना करे और वापस सामान्य बातचीत से बात खत्म कर दें| निंदा अकेले में करें| निंदा सहज और संक्षिप्त शब्दों में करें|
व्यक्ति की नहीं कार्य की आलोचना कीजिए| निंदा करने से पहले एक बार सोच लीजिए, क्या वाकई निंदा करना आवश्यक है।
इसके विपरीत तारीफ सबके बीच में करें। यदि किसी की अप्रत्यक्ष तारीफ उसके कानों तक पहुंचानी हो तो उस व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसकी प्रशंसा कीजिये। पीठ पीछे की गयी प्रशंसा उस व्यक्ति के कानों में में पड़ती है तो उसका मन प्रफुल्लित हो जाता है| उसके दिमाग में आपकी सकारात्मक छवि बन जाती है| पीठ पीछे या समूह में भूल कर भी किसी की निंदा ना करें। पीठ पीछे की गयी बात ज़्यादा तेज़ी से फैलती है| अक्सर आपकी कही हुई मूल बात बदल जाती है, फसाद खड़ा हो जाता है और करीबी रिश्ते भी खत्म हो जाते हैं|
Million Dollar Advice:
छोटी छोटी आदतें ज़िन्दगी में क्रांति ला सकती है. दुनिया के 60 सफलतम लोगों की आदतें वैज्ञानिक तरीके से सीखना हो तो नीचे इमेज पर क्लिक करके डॉ उज्जवल पाटनी के प्रसिद्ध कार्यक्रम VIP - THE SUCCESS HABITS में जरुर हिस्सा लें। 8878759999 पर कॉल करें।
Dr. Ujjwal Patni
Top Motivational Speaker and Business Coach