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मुझसे कोई पूछे कि व्यक्तित्व की सबसे बड़ी बीमारी कौन सी है तो मैं तुरंत कहूँगा – बहानाइटिस या एक्सक्यूसाइटिस। इसी बीमारी के कारण बहुत से काबिल लोग अपनी योग्यताओं के साथ अन्याय कर रहे हैं ।
मेरे अनुसार जब भी कोई इंसान बहाना बनाता है तो उसे खुद पर शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए क्योंकि वो किसी और को नहीं वरन स्वयं को धोखा दे रहा है ।
मैं यह नहीं कहता कि हर किसी को समान मेहनत करने पर समान परिणाम मिलते हैं । किसी को उतनी ही उपलब्धियां हासिल करने के लिए ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है तो किसी को कम । कभी कभी इसका उल्टा भी होता है , किसी को उपलब्धियां जल्दी मिल जाती हैं और किसी को देर से ।
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कुछ समय पहले हमने उज्ज्वल पाटनी यू ट्यूब चैनल पर एक विडियो रिलीस किया जिसका टाइटल था –“ क्या सुनकर छोड़ा लाखों ने बहाने बनाना” , तो देखते ही देखते एक मिलियन से ज़्यादा लोगों ने उसको देख लिया और सेकड़ों की तादात में कमेन्ट आए और हर किसी ने इस बात पर सहमति जताई कि इंसान का सबसे बड़ा शत्रु उसके अपने बहाने हैं।
आपका शुद्धिकरण करने के लिए सबसे पहले आपके बहानों का अंतिम संस्कार करना ज़रूरी है । आइए देखें , आपके जैसी परिस्थितियाँ होने के बाद भी कौन संघर्ष करके शीर्ष पर पहुंचा । कौन से ऐसे लोग हैं , जिन्होनें बहानों का प्रयोग करने के बजाय चुनौतियों का सामना करने का निर्णय लिया ।
बहाना 1 -
मुझे उचित शिक्षा लेने का अवसर नहीं मिला ।
उचित शिक्षा का अवसर फोर्ड मोटर्स के मालिक हेनरी फोर्ड को भी नहीं मिला ।
बहाना 2 -
बचपन में ही मेरे पिता का देहांत हो गया था ।
प्रख्यात संगीतकार ए.आर. रेहमान के पिता का भी देहांत बचपन में हो गया था ।
बहाना 3-
मैं अत्यंत गरीब घर में पैदा हुआ था ।
पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भी गरीब घर में पैदा हुए थे ।
बहाना 4-
बचपन से ही मैं लगातार अस्वस्थ रहता था ।
ऑस्कर विजेता अभिनेत्री मरली मेटलीन भी बचपन से बहरी और अस्वस्थ थी ।
बहाना 5-
मैंने साइकल पर घूमकर आधी ज़िंदगी गुजारी।
निरमा के करसन भाई पटेल ने भी साइकल पर निरमा बेचकर आधी ज़िंदगी गुजारी।
बहाना 6-
एक दुर्घटना में अपाहिज होने के बाद मेरी हिम्मत चली गई।
प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चंद्रन के पैर नकली हैं।
बहाना 7-
मुझे बचपन से मंद बुद्धि कहा जाता है ।
थॉमस एडीसन को भी बचपन से मंद बुद्धि कहा जाता था ।
बहाना 8-
मैं इतनी बार हार चुका हूँ कि हिम्मत नहीं बची ।
अब्राहम लिंकन पंद्रह बार चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति बने ।
बहाना 9-
मुझे ठीक से इंग्लिश नहीं आती ।
राजनीतिज्ञ लालू यादव को भी ठीक से इंग्लिश नहीं आती।
बहाना 10-
मुझे बचपन से परिवार की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी।
लता मंगेशकर को भी बचपन से परिवार की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी।
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वर्जिन एयरलाइंस के प्रमुख रिचर्ड ब्रेन्सन को भी आँखों की कमजोरी और डिस्लेक्सिक जैसी ढेर सारी बीमारियाँ हैं । लेखक वेद प्रकाश मेहता की आँखें नहीं हैं , राष्ट्रपति रूज़वेल्ट के दोनों पैर काम नहीं करते थे , स्वर्ण पदक विजेता विलमा रूडोल्फ को पोलियो था ।
मित्रों ! आप जितने भी बहाने सोच सकते हैं, मैं उनसे ज़्यादा नाम आपको बता सकता हूँ जिन्होनें उन मुश्किलों का हल ढूंढा है । कुछ लोग कहते हैं कि यह ज़रूरी नहीं कि जो प्रतिभा इन महानायकों में थी , वह हमारे अंदर भी हो । इस बात से मैं सहमत हूँ लेकिन यह भी ज़रूरी नहीं कि जो प्रतिभा आपके अंदर है , वह इन महानायकों में हो । आप किसी और गुण के बल पर महारथी साबित हो सकते हैं । मैं किताबी बात नहीं कहता कि हर व्यक्ति इतनी ऊंचाई अर्जित कर सकता है लेकिन मैं यह यकीन से कह सकता हूँ कि हर व्यक्ति सफल हो सकता है जो हार के लिए तैयार हो और सही दिशा में डट कर जुट जाए ।
सफलता का प्रतिशत अपनी अपनी योग्यता के अनुसार कम या ज़्यादा हो सकता है लेकिन यह तय है कि असफलता हाथ नहीं लगेगी । सार यह है कि, आज आप जहां भी हैं , कल आप जहां भी होंगे। इसके लिए आप किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। इसलिए आज चुनाव कीजिए सफलता और सपने चाहिए कि खोखले बहाने। सीधी बात
Dr. Ujjwal Patni
Motivational Speaker and Top Business Coach.