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निर्णय लेने की क्षमता किसी को भी सफल या औसत बनाने में बड़ी भूमिका निभाती है। दूसरों से पहले निर्णय लेने में थोड़ा रिस्क तो होता है लेकिन उसी में ग्रोथ भी होती है। अधिकांश लोग ज्यादा सोचने और कम अमल करने के रोग से पीड़ित हैं, इसे हम एनालिसिस पैरालिसिस कहते हैं। ज्यादा ज्ञानी और ज्यादा जानकारी वाले लोगों में ज्यादा एनालिसिस पैरालिसिस की बीमारी होती हैं । सूचना और विकल्पों की अधिकता के इस युग में निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती जा रही है क्योंकि जितने कम विकल्प होते हैं, उतनी ही जल्दी निर्णय होते हैं। एनालिसिस पैरालिसिस के प्रमुख लक्षण हैं।
ज्यादा सोचना और अंत में निर्णय नहीं लेना बहुत सारे लोगों से सलाह करके भी अमल न करना देर से निर्णय लेने की वजह से अच्छे अवसर खो देनाखुद की निर्णय क्षमता से विश्वास उठ जानाज्यादा विकल्प ढूंढने का प्रयास करना छोटे मुद्दे पर ज्यादा रिसर्च करके जटिल बना देनाहर मुद्दे पर परफेक्ट निर्णय लेने का प्रयास करना गलत निर्णय के भय से निर्णयों को टालना।
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एनालिसिस पैरालिसिस को ऐसे हराएँ:
1. बड़े और छोटे निर्णयों का फर्क पहचानिए
स्वयं से पूछिये कि वह बड़ा निर्णय हैं जो जीवन को लंबी अवधि तक प्रभावित करेगा या ऐसा निर्णय है जो छोटी अवधि के लिए प्रभावित करेगा। जिनकी अवधि और प्रभाव ज्यादा न हो, जो कोई और भी ले सकता हो, ऐसे निर्णयों पर ज्यादा माथा न लगाए। बड़े निर्णयों में बड़ी मेहनत और छोटे निर्णयों में कम मेहनत होनी चाहिए।
2. खराब और हल्के विकल्पो की पहले हटाएँ
जब आपके पास किसी भी कार्य को करने या न करने के बहुत सारे विकल्प होते हैं तो आप सबसे पहले उनमे से सारे खराब विकल्पों को हटा दीजिएँ। इस कसरत को आप दिमाग में करने की जगह पेपर पर करे। सारे विकल्प लिखें और हल्के विकल्पों को हटाते चलें जाएँ। आपके पास विकल्पों का ओवरडोज कम हो जाएगा । अंत मे आपको 2-3 विकल्पों के बीच से ही चयन करना पड़ेगा। जितने ज्यादा विकल्प होते हैं, उतने ही ज्यादा कन्फ़्युजन होते हैं।
इस विषय पर डॉ पाटनी ने एक शक्तिशाली शो रिलीज किया जिससे लाखों लोग प्रेरित हुए। विडियो नीचे देखें ।
3. निर्णय लेने की निश्चित समय सीमा तय करें
समय एक सीमित संसाधन हैं जिसका सही उपयोग से कोई शिखर पर पहुचता हैं और कोई दुरुपयोग सेऔसत बना रहता हैं । छोटे या बड़े, हर निर्णय के बगल में उसको पूरा करने की तारीख लिख दें और नियत तिथी तक जरूर उस कार्य को करें।
कभी मौका मिले तो सफलता की आदतों पर एक कार्यक्रम वीआईपी में हिस्सा लें। वहाँ प्रतिभागी डिसिशन डे अर्थात निर्णय दिवस नामक एक आदत सीखते है जिसने बहुत लोगों के जीवन से अनिर्णय को काफी हद तक हटा दिया है। इस आदत के अनुसार हर महीने एक बार मनाए जाने वाले डिसिजन डे पर आप अधिकांश निर्णय लेने का प्रयास करते हैं। अपने हर टाले गए निर्णय को डिसिजन बुक में लिखते हैं। तारीख लिखने से स्वयं पर मानसिक दबाव भी पैदा होता है।
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4. किसी समझदार व्यक्ति को निर्णय सौंप दे
जब आप भ्रमित हों और समाधान समझ नहीं आ रहा हों तो जिस व्यक्ति की परिपक्व्ता पर आपको भरोसा हो, उससे मार्गदर्शन लें। उसे कहे कि अगर आप मेरी परिस्थिति में होते तो इनमे से क्या निर्णय लेते और उस व्यक्ति को निर्णय लेने की इजाजत दें। अक्सर हम अपने सेमिनार में रोल मोडल बनाने को कहते हैं क्योंकि जब कोई दोराहे पर फँसता हैं तो वह अपने रोलमोडल से सलाह कर सकता है। वो यह भी सोच सकता है कि इस वक़्त मेरी जगह मेरे रोल मोडल होते तो वो क्या निर्णय ले रहे होते।
5.परफेक्शन खोजना छोड़ें
अगर आप हर काम पर्फेक्ट करने चाहेंगे तो जीवन में आप बहुत सारे कामो को कर ही नहीं पाएंगे। मैंने अपने 15 सालों के बिज़नस कोचिंग जीवन में यह देखा है कि जो लोग भी परफेक्शन का इंतजार करते हैं वो बड़ी उपलब्धियां हासिल नहीं कर पातें। उनके आस पास के लोग तनाव में रहते हैं , उनके स्टाफ जल्दी कार्य छोड्तें है और उनको बहुत तकलीफ़ें आती है। पर्फेक्ट लोग, पर्फेक्ट जीवन, पर्फेक्ट सरकार, पर्फेक्ट परिवार, पर्फेक्ट टीम आदि का इंतजार न करे । सही दिशा में बढ़ाया गया कोई भी कदम आपको मंज़िल के करीब ले जाता है इसलिए कदम बढ़ाने में यकीन करें। यदि यह तय है कि आपकी दिशा गलत नहीं है तो आप बढ़ जाइए। सही दिशा में बढ़ जाने से भी दूरियाँ कम होती हैं।
"आपके पास जो है, आप जहां हैं वही से शुरू कीजिये। हर काम आदर्श तरीके से हो भी नहीं सकता और करने की कोई आवश्यकता भी नहीं होती। परफेक्शन की जगह सुधार की सोचें।"
6. आज से शुरू कीजिये
अब सारे निर्णयों की एक सूची बनाइये जो बहुत समय से पेंडिंग हैं भले वो छोटे हो या बड़े । एक नोटबुक में सब नोट कर दीजिये। सबके साथ में पूरा करने करने की तिथि दाल दीजिये। महीने में एक बार या दो बार उस सूची को पढ़िये। सूची पढ़ने के लिए एक दिन तय करके अपने मोबाइल में अलार्म लगा लीजिये। छोटे निर्णयों में ज्यादा भला बुरा मत सोचिए। यदि निर्णय कोई और भी ले सकता हो और उसमें आपका कीमती समय देने की जरूरत ना हो तो किसी और को सौंप दीजिये।
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Dr. Ujjwal Patni
Motivational Speaker and Top Business Coach.