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अभी हाल में ही मेरे बेहद सफल और लोकप्रिय प्रोग्राम बिज़नस गुरुकुल में एक प्रतिभागी ने मुझे मदद मांगते हुए कहा कि “मेरे बेटे में बहुत आक्रोश है| हर चीज़ बदल देना चाहता है। टोको तो गुस्सा करता है। उन्होंने अपने बेटे कों बहुत समझाया कि हर चीज़ की एक व्यवस्था होती है लेकिन उसका गुस्सा कम ही नहीं होता। उन्होंने मुझे कहा कि क्या आप मेरी इस सिलसिले में कोई मदद कर सकते हैं?
जब मैंने उनके बेटे से बातचीत की तो मैंने देखा कि वह बेहद जोश और जुनून से भरा हुआ था| उसकी समस्या यह थी कि वह कुछ बड़ा करना चाहता था| बेटे ने मुझे बताया कि जब भी वह कोई नया विचार, प्रस्ताव या किसी संभावना की बात करता है तो उसके पिता उसे खारिज कर देते हैं | उसके पिता के अनुसार इस तरह की बातें करने का मतलब गुस्सा या रोष व्यक्त करना होता है|
काफी देर बात करने के बाद मुझे लगा कि मुझे शायद पिता को समझाना होगा कि अपने बेटे के गुस्से और आक्रोश को ज़िंदा रहने दें क्योंकि गुस्सा आना ज़रूरी है| सोचिए, यदि गुस्सा नहीं आता, यदि आक्रोश नहीं होता तो दुनिया में कुछ भी नहीं होता|
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नेल्सन मंडेला के आक्रोश पर दक्षिण अफ्रीका ने रंग-भेद से मुक्ति पाई|
महात्मा गांधी, भगतसिंह सरीखों के आक्रोश ने भारत की आज़ादी को नयी दिशा दी और अंग्रेजों के शासन से मुक्त करवाया|
कैलाश सत्यार्थी गुस्सा आया तो गुस्सा आया तो हजारों अबोध बच्चे बाल मजदूरी के अभिशाप से आज़ाद हुए| इस आक्रोश के फलस्वरूप हुए कार्यों के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है|
सुलभ फ़ाउंडेशन के संस्थापक श्री बिंदेश्वर पाठक को गुस्सा आया तो हिंदुस्तान में लाखों लोग मैला धोने की प्रथा से मुक्त हो गए| उन्हें मॉडर्न गांधी भी कहा जाने लगा|
इन सभी महान हस्तियों की जीवनी इस बात को स्पष्ट करती है कि गुस्सा या आक्रोश बदलाव के लिए बेहद ज़रूरी है| इन सारे उदाहरणों के बाद यदि आप कहेंगे कि यह सब तो क्रांतिकारी या समाजसेवी हैं लेकिन सामान्य जीवन, व्यापार या प्रॉफ़ेशन में गुस्से की क्या जरूरत है। यहाँ तो चुपचाप अपना काम निकालो और आगे बढ़ो।
इस विषय पर डॉ पाटनी ने एक शक्तिशाली शो रिलीज किया जिससे लाखों लोग प्रेरित हुए। विडियो नीचे देखें ।
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साथियों, इस तरह का सकारात्मक गुस्सा बहुत ज़रूरी है| ऐसा गुस्सा जिससे समृद्धि और सफलता का सृजन होता हो। उसकी जगह हम छोटे छोटे गुस्से में अपना समय जाया करते हैं। कभी परिवार में किसी छोटी बात पर गुस्सा, कभी खाना अच्छा नहीं बनने पर गुस्सा, कभी किसी रिक्शे वाले के ज़्यादा पैसे लेने पर गुस्सा, कभी किसी कतार में इंतज़ार करते हुए लड़ाई, कहीं भाई-भाई, पार्टनर-पार्टनर की आपसी लड़ाई, कभी समाज या असोशिएशन में लड़ाई| इन छोटे छोटे आक्रोश में वक़्त जाया करके क्या मिलेगा। इन सभी चिल्लर गुस्से कों यूं ही नज़रअंदाज़ कीजिये और कोई बड़ा गुस्सा पालिए क्योंकि गुस्से के भी दो स्वरूप होते हैं –सकारात्मक और नकारात्मक|
गुस्सा बुरा नहीं है, गुस्से का कैसे उपयोग किया जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है| अपने गुस्से को घर, समाज, व्यवसाय या ऑफिस में हर दिन प्रयोग करके खत्म ना करें| अपने गुस्से को अंदर पालें और मौका पड़ने पर उस गुस्से से कुछ बड़ी क्रांति करें।
इतिहास गवाह है कि बैलगाड़ी पर गुस्सा आने पर कार बनी, कार पर गुस्सा आने पर प्लेन बना और किसी को बड़े फोन पर गुस्सा आया तो मोबाइल बना| सभी चीज़ें गुस्से से बनी हैं, ना की कम्फर्ट ज़ोन से बनी है| मुझे किसी बात पर गुस्सा आए तो मैं अपना सफल चिकित्सक का करियर और हॉस्पिटल छोड़कर लोगों में जुनून पैदा करने के लिए निकाल पड़ा। हाल ही में मुझे भी किसी बात पर इतना गुस्सा आया कि मैंने आपके लिए यह लेख ही लिखा और साथ ही विडियो बनाया जिससे हर गुस्से वाला व्यक्ति कुछ बदल सके|
साथियों, गुस्सा बुरा नहीं है। छोटी चीजों और मुद्दों पर गुस्सा बुरा है और इसीलिए आज से ही यह बंद कर दीजिये। गुस्सा एक शक्ति है जिसके सही इस्तेमाल से अथाह समृद्धि और सफलता पायी जा सकती है। एक बड़ा लक्ष्य चुनिये और गुस्से के दम पर उस लक्ष्य कों हासिल कीजिए।
Dr. Ujjwal Patni
Motivational Speaker and Top Business Coach