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कुछ समय पूर्व मुझे विकलांगों के एक सम्मेलन में बतौर वक्ता आमंत्रित किया गया था| मेंने सोचा की मुझे वहाँ उन लोगों का मनोबल बढ़ाकर उनमें जीवन के प्रति उम्मीद बढ़ाने के लिए बुलाया गया है| मन में सहानुभूति के साथ मैंने भाषण की तैयारी की| जब मैं उन लोगों के बीच पहुंचा, उनकी गतिविधियां देखी तो मैं हतप्रध रह गया| वहाँ अपाहिज होने के एहसास का नामोनिशान नहीं था|
यदि वर्णन करूँ तो जिनके हाथ नहीं थे, वह पैरों से लिख रहे थे तथा अन्य काम कर रहे थे| जिनके पैर नहीं थे, वह हाथों से चल रहे थे| कुछ की आँखें नहीं थी फिर भी उनहोंने पढ़ाई में अच्छे अंक प्राप्त किए थे| कुछ लोगों की बोलने की शक्ति जा चुकी थी लेकिन वह बिना दिक्कत के हाव-भाव से अपनी बातें समझा रहे थे|उनका आत्मविश्वास देखने के बाद मुझे अपना भाषण बदलना पड़ा| मैंने इस घटना को अपनी कृति पावर थिंकिंग और हर सेमिनार का हिस्सा बना लिया| कहने को तो सबके शरीर में अपूर्णता थी लेकिन वह सब आत्मनिर्भर थे| सेमिनार से लौटने के बाद भी वह दृश्य मुझे चिंतन पर मजबूर करता है। साथियों,
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इस विषय पर डॉ पाटनी ने एक शक्तिशाली शो रिलीज किया जिससे लाखों लोग प्रेरित हुए। विडियो नीचे देखें ।
एक वृद्ध पिता अपने युवा पुत्र के साथ ट्रेन में चढ़े, ट्रेन चलते ही बेटा खुशी और उत्साह से झूम उठा| वह खिड़की के पास बैठा हुआ था, हाथ खिड़की से थोड़ा बाहर लाकर वह हवा को महसूस करने लगा और अचानक चिल्ला उठा, देखो पापा, सभी पेड़ की ओर जा रहें हैं| पापा मुसकुराते हुए बेटे कि बात सुन रहे थे| बेटे ने फिर कहा – पापा बंदर कैसे उछल-कूद कर रहा है और पेड़ों पर कितने सारे आम लटके हुए हैं| लटके हुए आम कितने सुंदर दिखते हैं| पिता ने सहमति से सर हिलाया| उस नौजवान के पास बैठे अन्य यात्रियों को यह बच्चों जैसा व्यवहार अजीब लग रहा था| तभी बारिश होने लगी और कुछ बूंदें लड़के कि बाहों में आ टपकी| लड़के ने प्रसन्नता से आँखें बंद कर ली| उसके मुंह से निकाल पड़ा – पापा बारिश कि बूंदें कितनी सुंदर होती हैं ना| अब अन्य यात्री पूरी तरह असहज हो चुके थे| एक दंपत्ति ने उसके पिता से पूछ ही लिया कि आप अपने बेटे का किसी अच्छे अस्पताल में इलाज क्यों नहीं कराते| पिता ने शांत भाव से जवाब दिया – हम अस्पताल से ही आ रहें हैं| मेरे बेटे ने आज पहली बार दुनिया देखी है, बचपन से इसकी आँखों में रोशनी नहीं थी| यह सुनते ही यात्री स्तब्ध रह गए|
साथियों, छोटी-छोटी खुशियों का मोल वही जानता है जिसके जीवन में वह खुशियाँ उपलब्ध नहीं हैं| आँखों का मोल उस युवा से ज़्यादा कौन जानता होगा| हाथ-पैर का मोल उनसे पूछिये जिनके हाथ-पैर नहीं हैं, सोचने की शक्ति का मोल उनसे पूछिये जो विकसित नहीं हैं| जिस दिन आप इस सत्य को मन में बसा लेंगे कि ईश्वर ने मुझे ‘वी आई पी’ बनाकर पैदा किया है, उस दिन से आप कमियों की बात करना छोड़ देंगे| मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ जिनके शरीर में कमी है लेकिन उनहोंने अपनी आत्मशक्ति के दम पर उस कमी को बौना बना दिया है, वह आज किसी पर निर्भर नहीं हैं| इसके विपरीत अनेक व्यक्ति सब-कुछ होते हुए भी, हर क्षण किसी न किसी कमी का रोना रोते हैं| इसलिए इस एहसास को शक्तिशाली बनाइये की आप ‘वी आई पी’ हैं|
जब आप इस शक्तिशाली एहसास के साथ जिएंगे तो विपरीत परिस्थितियां भी आपके हौसलों को डिगा नहीं पाएगी| आपको लड़ना होगा, अपनी जगह खुद बनाना होगा| यह तभी संभव होगा, जब आप अपने बारे में ऊंचा सोचें|
पावर योजना:
धन्यवाद
Dr. Ujjwal Patni
Motivational Speaker and Top Business Coach